Header Ads Widget

Responsive Advertisement

रैबार


 

पौन तू प्राण मेरी, दासि छौमें भि तेरी।
जैं दिशा भौंर मेरो, तैं दिशा भारी फेरो।
देखि स्वामी को डेरो, बोलि रैबार मेरो।
भौंर तू प्राण मेरो, केशरू को रसिया।
बागों को तू कसिया, फूलु को छू हसिया।
कै विराणी हि जाई, देखिकी तू ना भूल।
भौर अलसीगे तेरो, यो गुलाबी सी फूल।
भौर की आश धरी, फूली गुलाब कली।
भौर विदेशु रम्यों, नी छ या बात भली।
खूब मैदान बड़ा, बाटामां त्वै मिलला।
हौंसिया लोग रंदा, सेठुका गांऊ भला।
सेरो चोसरसी बिछयूं, चौकोण्यों चारि गाउ।
नैर सीं कूल भली, पट्टि चौरास नाऊं।
नौर नोट्याल रहंदा, खूब ज्यूंदीको सेरो।
नैणिकी कूल भली, जा गड्यालू को डेरो।
किलकिलेश्वर छै तखी मैति मादेव मेरो।
‘महन्तयोगीन्द्र’ पूरी राखला ध्यान तेरो। 

 

योगीन्द्र पुरी

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ