यह वर्ष हर्ष आनन्दित हो ...........
यह वर्ष हर्ष आनन्दित हो,
मानवता प्रतिपल वन्दित हो,
हर धृणा द्वेष मन कलुष मिटे,
नित प्रेम पुष्प मकरन्दित हो |
हर खेतों में हरियाली हो,
वसुधा नव चूनर वाली हो,
हो गगन मगन धर नील वसन,
रवि रथ की छटा निराली हो |
कोकिल कूजित तरु डालों पर,
मधुकर गूंजित सुर तालों पर,
चूड़ी छनके झांझर झनके,
दिल लुटे हंसिनी चालों पर |
ये शिशिर सिहरती रात रहे,
सावन की रस बरसात रहे,
ऋतुराज अनंगित हो वसन्त,
मद मिलन मधुर सौगात रहे |
राधा के कृष्ण मुरारी हों,
गौरी संगी त्रिपुरारी हों,
किसी राम-सिय को विरह नहीं,
कवि प्रेम गीत मतवारी हो,
मन्दिर मस्जिद की शान रहे,
गुरु द्वारे का सम्मान रहे,
भारत का गौरव उच्च सदा,
प्रभु यिशू का प्रिये नाम रहे |
तीनो सेना का अभिनन्दन,
बलिदानी रक्त रहे चन्दन,
खुश धरती पुत्र किसान रहें,
जिनसे अचला का नित रंजन |
हाहाकारी था बीस बीस,
इक्कीस खूब धनवान रहे,
धर्म कर्म ईमान हमारा,
गर्वित ये हिन्दुस्तान रहे |
कुसुमाकर पंत
मोब : +91-9509877844 (Whatsapp)
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