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सबूत

 


कर रहा हूँ इकट्ठा

वो सारे सबूत
वो सारे आँकडे…

जो सरासर झूठे हैं
और
जिन्‍हें बडी ख़ूबसूरती से
तुमने सच का जामा पहनाया है
कितना बडा़ छलावा है
मेरे भोले-भाले मासूम जन
ब-आसानी आ जाते हैं झाँसे में

ओ जादूगरो !
ओ हाथ की सफाई के माहिर लोगो !
तुम्हारा तिलस्म है ऐसा
कि सम्मोहित से लोग
कर लेते यक़ीन
अपने मौजूदा हालात के लिए
ख़ुद को मान लेते कुसूरवार
ख़ुद को भाग्यहीन…

अनवर सुहैल

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